विदेशी कंपनियाँ और बाज़ारवाद: पतन भाषा, संस्कृति व धर्म का
13 min readSep 19, 2021
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प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, नमस्ते।
इतिहास है कि ईस्ट इंडिया कंपनी के कारण हमने बहुत ग़ुलामी झेली। आज अनेकों विदेशी कंपनियाँ हैं बाज़ार में, क्या वो भी ग़ुलाम बना रही हैं हमें? आर्थिक पक्ष तो एक तरफ़ है, मैं आपसे समझना चाहता हूँ कि इन कंपनियों का हम पर मानसिक और सांस्कृतिक रूप से क्या असर पड़ता है?