विचार और वृत्तियाँ ही हैं मन

प्रश्नकर्ता: मन में बार-बार विचार आते ही क्यों हैं?

आचार्य प्रशान्त: मन में विचार नहीं आते, विचार ही मन हैं। मन और विचार एक ही हैं। विचार नहीं हैं तो मन भी नहीं है। यह सोचना कि “मन है और मन में विचार आते हैं”, नहीं, ऐसा है नहीं। मन ही विचार है। अगर विचार न हो तो मन कहीं नहीं है। और यह बात बहुत दूर तक जाती है।

इसका अर्थ समझने के लिए एक उदाहरण लेते हैं।

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org