लम्बा जीवन क्यों जिएँ?

“इस संसार में कर्म करते हुए ही (मनुष्य को) सौ वर्ष जीने की इच्छा करनी चाहिए। हे मानव! तेरे लिए इस प्रकार का ही विधान है, इससे भिन्न किसी और प्रकार का नहीं है। इस प्रकार कर्म करते हुए ही जीने की इच्छा करने से मनुष्य कर्म में लिप्त नहीं होता।”

~ ईशावास्य उपनिषद्, श्लोक 2

आचार्य प्रशांत (प्रश्न पढ़ते हुए): "प्रणाम सर, उपनिषद् के ऋषि सौ वर्ष जीने के लिए प्रेरित कर रहे हैं, पर कई महापुरुष जैसे स्वामी…

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org