लगातार कुछ ऐसा रहेगा

जो अस्पष्ट होगा, धुंधला होगा,

अज्ञात होगा।

उसी अज्ञात में जीना है।

हिम्मत चाहिए न उसके लिए?

अज्ञात में भी जीने की

हिम्मत को कहते हैं — श्रद्धा।

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org