लक्ष्य मुक्ति का, और लालच संसार का
दो चीज़ें अनिवार्य रूप से चाहिए।
पहला, जीवन का ईमानदारी पूर्वक अवलोकन और
दूसरा, संतों की वाणी या ग्रन्थों का साथ।
जब अपनी ज़िन्दगी को ध्यान से देखोगे तो स्वयं के जिंदगी जीने के रवैये के प्रति गहरी घृणा उठेगी। जबकि संत तुम्हें नए जीवन का मार्ग दिखलायेंगे।