रोया करो
आचार्य प्रशांत: उत्सव (सेलीब्रेशन) का मतलब ही होता है कि भीतर का ग़ुबार हट जाए, साफ़ हो जाए। शरीर की मैल नहाते वक़्त ही तो पता चलती है ना? ऐसे पता चलती है? जब नहाने जाते हो तभी पता चलता है ना, अच्छा, कुछ है। उत्सव अपने लिए खाली जगह बनाना चाहता है। बहुत व्यापक होता है वो, साफ़ होता है। साफ़ और व्यापक, जैसे आसमान। बड़ा और साफ़। तो वो अपने लिए जगह बनाना चाहता है। उसे किसी भी तरह का अतिक्रमण, एन्क्रोचमेंट पसंद नहीं होता। और कौन सी चीज़ भरी होती है भीतर? एनक्रोच कर रही होती है खाली…