राम से दूरी ही सब दुर्बलताओं का कारण
राम से दूरी ही सब दुर्बलताओं का कारण
तुलसी राम कृपालु सों, कहिं सुनाऊँ गुण दोष।
होय दूबरी दीनता, परम पीन संतोष।।
~ संत तुलसीदास
आचार्य प्रशांतः कृपालु राम के आगे अपने सारे गुण-दोष खोल कर रख दो, कह दो, सुना दो। इससे जो तुम्हारी दीनता है, जो तुम्हारी लघुता है, जो तुम्हारी क्षुद्रता है, वो दूबरी हो जाएगी, कम हो जाएगी, और जो तुम्हारा संतोष है, तुम्हारे भीतर जो तृप्ति का भाव है, पूर्णता का भाव है, वो पुष्टि पाएगा।