‘राम खुमारी’ का अर्थ
प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, ओशो कहते हैं, “धर्म का सार है- राम खुमारी।” ‘राम खुमारी’ क्या है? कृपया प्रकाश डालने की अनुकम्पा करें।
आचार्य प्रशांत: तुम जिसे आमतौर पर होश कहते हो, जब समझ उठती है तो ये होश डगमगाने लगता है। ये झूठा होश है। कुछ वैसा-सा ही मज़ा आने लगता है जैसे शराबियों को आता है। हालांकि उनसे बहुत उन्नत मज़ा ,उनसे बहुत अग्रणी मज़ा पर जैसे एक शराबी होश की सामान्य अवस्था से हट जाता है वैसे ही जिसको समझ उठती है वो भी होश जी…