रात, शहर और मैं

आकाश,

टुकड़ों में मेघाच्छन्न है

या तो पूरी तरह

या बिल्कुल नहीं।

खुले आकाश का सबसे चमकदार सितारा

मेघों को दूर से निहारता है

जैसे पड़ोस का बच्चा मुझको-

भय, संदेह से व्याकुल आँखों से,

कुछ दूरी पर खड़े रहकर।

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org