ये तो ब्राह्मण नहीं
प्रश्नकर्ता: आज शिविर में वज्रसूचिकोपनिषद् का पाठ किया तो जाना कि सचमुच में ब्राह्मण कौन होता है। आजतक लगता था कि ब्राह्मण जन्म या जाति के आधार पर बनते हैं; आज वो धारणा टूट रही है। ब्राह्मण कौन होता है, आचार्य जी? और स्पष्ट करें।
आचार्य प्रशांत: पहले तो मैं पढ़ ही देता हूँ, ये वज्रसूचि उपनिषद् है। इसको पढ़ना इसलिए भी ज़रूरी है क्योंकि बड़ा भ्रम है, बड़े अंधविश्वास हैं, बहुत सारी व्यर्थ की मान्यताएँ हैं। जो लोग अपने-आपको ब्राह्मण कहते हैं, उनमें ये मान्यता है कि वो किसी ब्राह्मण घर में पैदा हो गए हैं तो ब्राह्मण कहला सकते हैं। इससे ज़्यादा भ्रामक मान्यता दूसरी हो नहीं सकती।