ये जान कर भी क्या पाओगे?

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, मैं जानना चाहती हूँ कि मैं आध्यात्मिक कैसे बन सकती हूँ। आध्यात्मिक बनने के लिए कोई अलग तरीका या टिप्स (सलाहें) हैं?

आचार्य प्रशांत: आध्यात्मिक होने का मतलब है जानने, समझने की इच्छा रखना। अब ऐसा तो कोई होता ही नहीं जिसमें जानने, समझने की कोई इच्छा ही नहीं है। लेकिन हम ऐसी चीज़ों को जानने-समझने में ज़्यादा इच्छा दिखाने लगते हैं जिनको जान-समझ कर भी हमको कुछ मिल नहीं जाना है, या कुछ मिलना भी है तो छोटा-मोटा।

ईमानदारी से वो जानने की कोशिश करना है जिसे जानने से जीवन पर फ़र्क पड़ेगा। इसे अध्यात्म कहते हैं।

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org

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