ये आशिक़ी ले डूबी तुम्हें
प्रश्न: आचार्य जी, प्रेम में इतना दर्द क्यों होता है? इश्क़ में इतना दर्द क्यों मिलता है? यह भ्रमवश उपजी आशिक़ी किस तरह बर्बाद कर रही है?
आचार्य प्रशांत: जिसको तुम इश्क़ कहते हो, वो और क्या होता है? किसी की खुशबू, किसी की अदाएँ, किसी की बालियाँ – यही तो है। ये न हो तो कौन-सा इश्क़।
किसी की खनखनाती हँसी,
किसी की चितवन,