युवा अपने सपने पूरे करें या समाज की उम्मीदें?

समाज तुमसे जो भी उम्मीदें बांधता है वो इसलिए ना ताकि समाज का हित हो सके। तुम्हें अगर पता हो कि हित माने क्या तो स्वेच्छा में और सामाजिक प्रथा या सामाजिक दबाव में कभी कोई संघर्ष, कभी कोई अंतर्विरोध उठेगा ही नहीं।
समाज के और व्यक्ति के हितों में भेद और टकराव आते ही तब हैं जब दोनों को ही अपने-अपने हितों की परिभाषा स्पष्ट ना हो। अगर हित की परिभाषा स्पष्ट है तो वैयक्तिक हित और सामाजिक हित…