यही संदेश है नवरात्रि का कि –

ज़िन्दगी जी किस आधार पर रहे हो?

कर्म नहीं, बाहरी बात नहीं,

रूप-रंग-कलेवर नहीं;

मर्म, आधार।

किस आधार पर जी रहे हो?

शिव के आधार पर जी रहे हो

या शव के आधार पर जी रहे हो?

सत्य के आधार पर जी रहे हो

या भ्रम और मोह और अंधेरे

में ही जिए जा रहे हो?

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org