मौत के राज़

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, कुछ मुद्दे हैं जिनपर आप पिछले दस साल से बोल रहे हैं, जैसे — आत्मा, चेतना, मन, मृत्यु, पुनर्जन्म। हाल ही में बातचीत सीरीज़ (श्रंखला) के माध्यम से आपने इनपर स्पष्टता भी दी है, फिर भी कई लोग हैं जो एक ही सवाल बार-बार घुमाकर अन्य तमाम माध्यमों से हम तक पहुँचा रहे हैं। वो इन बातों को या तो समझ नहीं पा रहे हैं या समझना चाहते नहीं हैं। जैसे उदाहरण के तौर पर आपने मौत के विषय में कल ही बात की थी। अब कितने सारे लोग हैं जो फोन कॉल के माध्यम से, कमेंट्स

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org