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मौत के बाद क्या होता है? पुनर्जन्म कैसे होता है?

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, हम मृत्यु के बाद के जीवन के बारे में कुछ-न-कुछ कहानियाँ सुनते रहते हैं, आखिर मृत्यु के बाद क्या होता है?

आचार्य प्रशांत: पहेली है ये, कुछ है ही नहीं मृत्यु के बाद। संसार ही नहीं है, तुम्हारे ही देखे संसार है तुम्हारे ही देखे समय है। जब तुम कहते हो, "मृत्यु के बाद क्या है?" तो तुम ये कह रहे हो कि, "मैं चार बजे मरा शाम को, चार बजकर पाँच मिनट पर क्या है?"; क्योंकि बाद का यही अर्थ होता है न? मृत्यु के बाद के समय में क्या है यही तो पूछ रहे हो, कि, "चार बजे मैं मर गया तो चार बजकर पाँच मिनट पर क्या है?" चार बजे तुम मर गए तो तुम्हारी घड़ी चार पर रुक गई, चार बजकर पाँच मिनट कभी बजेंगे ही नहीं। मृत्यु के बाद जब समय ही नहीं है, तो मृत्यु उपरांत क्या होता है ये प्रश्न ही निरर्थक हो गया न। समय ही सिर्फ़ तब तक है जब तक अहम् वृत्ति शरीर से जुड़ी हुई है। शरीर के लिए समय होता है; शरीर समय के साथ बड़ा होता है, शरीर समय के साथ बूढ़ा होता है, शरीर समय के साथ मृत्यु को प्राप्त होता है। समय किसके लिए होता है?

श्रोतागण: शरीर के लिए।

आचार्य: शरीर के लिए। समय मस्तिष्क के लिए होता है, है न? मस्तिष्क माने शरीर। शरीर ही भस्म हो गया तो बताओ अब समय कौन गिनेगा, अब समय ही कहाँ बचा? जब समय ही नहीं बचा तो तुम क्या पूछ रहे हो कि चार बजकर पाँच मिनट पर क्या हुआ। घड़ी चार बजे रुक गई माने रुक गई, अब चार बजकर एक मिनट भी कभी बजने नहीं वाले; दुनिया की घड़ियों में बजेंगे, तुम्हारे लिए चार बजे सब ख़त्म हो गया। तो अब मत पूछो कि इसके बाद क्या है। इसके बाद ना समय है ना संसार है ना आकाश है, कुछ नहीं है।

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant
आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

Written by आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org

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