मौत के डर को कैसे खत्म करूँ?

मृत्यु के डर का उपचार है -कुछ भी ऐसा पा लेना जो छिनता नहीं है।

तुम कैसे ऐसा पाओगे?

तुम शुरुआत यहीं से करो कि जानो कि तुम्हारे पास तो जो कुछ है, वो छिन ही जाता है। तुम्हारे पास जो कुछ है, उसमें सदा विराम लगता है, उसमें सदा अपवाद आते हैं। बस इस नियम का कोई अपवाद नहीं है, किस नियम का? कि तुम्हारे पास जो कुछ है, वो छिन जाएगा। इस नियम को ही अगर दिल से लगा लो तो यही जादू होगा। तुम पाओगी कि छिनने का खौफ़ मिट गया। कहीं न कहीं उम्मीद बाँध रखी है कि तुम्हारे पास जो कुछ है, वो शायद न छिने। जब पूरी तरह स्वीकार कर लोगे कि यह सब कुछ तो एक न एक दिन जाना ही है और यह ज्ञान तुम्हारी नस-नस में बहे, तुम्हारी साँस-साँस में रहे। तुम्हें कुछ ख़ास लगे ही न।

मौत डराती उसी को है, जो मौत का विरोध करता है।

तुम मौत को गले लगा लो तो वो तुम्हारी दोस्त हो जाएगी। तुम छोड़ो विरोध को, तुम उसे साथ लेकर चलो। साथ तो वो वैसे भी है ही। जीवन तुम्हारे साथ कम साथ है, मौत तो लगातार साथ है और जो लगातार साथ है उससे यारी कर लो न!

मौत से यारी करोगी तो जीवन अपने आप तुम्हारा यार हो जाएगा। मौत से दुश्मनी करोगी तो जीवन दुश्मन हो जाएगा।

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org