मोटिवेशनल स्पीकर्स और गुरुओं का जंजाल

कोई भी व्यक्ति जो अपने आप को सच का खोजी बोलता हो, जो कहता हो उसका वास्ता रियलिटी से है, वो अगर उपनिषदों की बात नहीं कर रहा तो बच के रहना, बहुत बच के रहना। उस व्यक्ति से और ज़्यादा बच के रहना जिसने खुद तो उपनिषद पढ़े ही नहीं है और तुम्हें भी सलाह दे रहा है कि बेटा! उपनिषद पढ़ने की कोई ज़रूरत नहीं है।

ये कड़ी शर्त आवश्यक है, ये कड़ी शर्त अगर नहीं लगाओगे तो न जाने क्या-क्या सुन आओगे, न जाने क्या-क्या सोख आओगे।

भारत ही नहीं विश्व भर में अध्यात्म ने जिस उच्चतम शिखर को छुआ है उसका नाम है वेदान्त। भारत का परम दुर्भाग्य है कि वो सब लोग जो अपने आप को हिन्दू बोलते हैं उनमें से एक बहुत-बहुत छोटा प्रतिशत है जिसने उपनिषदों का पाठ किया है, जो उपनिषदों का पाठ लगातार करता है।

जो असली, केन्द्रीय अध्यात्म है उससे भारतीयों को वंचित रखा जा रहा है।

अगर आप अपने आप को हिन्दू बोलते हैं तो ऐसा कैसे है कि आपने उपनिषद नहीं पढ़े? कैसे? चूँकि उपनिषद नहीं पढ़े हैं इसलिए तुम बर्दाश्त कर लेते हो दुनियाभर के ऊलजलूल मूर्ख वक्ताओं को और मोटिवेशन स्पीकर्स को।

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org