मैं मशीन नहीं

आचार्य प्रशांत: आदित्य, किसी यन्त्रवत प्रक्रिया का नाम मशीन है, तुम मशीन नहीं हो। याद रखना जो कुछ भी यन्त्रवत हो, जैसे इस माइक पर मैं कुछ बोल रहा हूँ और ये यन्त्रवत, स्वतः उसको प्रसारित कर रहा है, परिवर्धित करके। जो कुछ भी यन्त्रवत हो, जान लेना कि ये किसी मशीन की करतूत है और तुम मशीन नहीं हो।

सोडियम पर पानी डाला जाता है तो क्या होता है यन्त्रवत? अगर तापमान और वायुमण्डलीय दबाव ठीक है, तो क्या होगा स्वतः? ये इस बात का सबूत हैं कि दोनों मुर्दा हैं। यन्त्रवत होना सिर्फ़ एक मुर्दा प्रक्रिया होती है। जीवन में कुछ भी यन्त्रवत नहीं है। जहाँ कहीं भी कुछ यंत्रवत दिखे तो जान लेना ये तो कुछ मुर्दा काम चल रहा है जिसमें चेतना कुछ नहीं है।

जो कुछ भी तुम्हारी ज़िन्दगी में यन्त्रवत होता हो, उससे अपने आप को थोड़ा-सा दूर कर लो। मैं ये नहीं कह रहा हूँ उसका विरोध करो, मैं कह रहा हूँ उससे दूरी बना लो। यन्त्रवत जीवन में क्या-क्या होता है? शारीरिक क्रियाएं, वो सारी यन्त्रवत होती हैं। भूख तुमसे पूछ कर नहीं लगती, बाकी भी जो शरीर की क्रियाएं हैं वो तुमसे पूछ कर नहीं होती। दिल तुमसे पूछ कर नहीं धड़कता और भी जो रोज़-मर्राह की गतिविधियाँ हैं वो तुमसे पूछ कर नहीं होती। तुम जान लेना कि ये मैं नहीं, ये एक मशीन है जो काम कर रही है। मुझे इस मशीन से कोई लड़ाई नहीं करनी है, मेरा इस मशीन से कोई विरोध नहीं है। लेकिन हाँ, मुझे इस मशीन के साथ तादात्मय नहीं बनाना है, एक पहचान नहीं बना लेनी है। इस मशीन से बस इतना-सा दूर होकर रहना है जैसे मशीन का मालिक मशीन से दूर रहता है।

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org