‘मैं’ भाव क्या है? मैं को कैसे देखें?

भाव और तथ्य को अलग-अलग करके देखिए। भाव प्रमाण नहीं होता सत्यता का। भावना हमारी कुछ भी होती रहे, क्या आवश्यकता है कि उसका सच से कोई भी सम्बन्ध है? ‘मैं’ क्या है, इसमें कोई बड़ी गुत्थी नहीं है। कोई आपकी कोहनी पर ऊँगली रख देता है, आप तुरंत कह देती हैं न, “मैं”। तो ‘मैं’ क्या है? ‘मैं’ क्या है? ‘मैं’ माने -कोहनी।
अब ये बात अच्छी ही नहीं लगती क्योंकि हम किसी विराट, विस्मयी उत्तर की प्रतीक्षा कर रहे होते…