मैं दुखी क्यों हूँ

आचार्य प्रशांत: सिर्फ़ आदमी है जो दुःख में जिये जा रहा है वरना अस्तित्व में दुःख कहीं भी नहीं है। ये सब कुछ तुमको अपने चारों ओर दिखाई देता है, ये कहाँ से आ रहा है? ये आ कहाँ से रहा है, इसको समझो, ध्यान से देखो।
तुम सब सुख चाहते हो ना इसीलिए शिकायत कर रहे हो कि दुःख क्यों है। सुख सब चाहते हो, शिकायत यही है कि दुःख क्यों है। तुम्हारी सुख की अपनी-अपनी परिभाषा हो सकती है, पर एक बात पक्की है कि सुख सबको चाहिए इसलिए तकलीफ़ ये है कि दुःख…