मैं तड़पा हूँ, इसलिए तेरी भी तड़प समझता हूँ
प्रेम का अर्थ ये नहीं होता कि मेरे तुम्हारे विचार मिलते हैं, प्रेम का अर्थ है- मैं तुम्हारे हित के लिए उत्सुक हूँ, आतुर हूँ।
विचारों के आधार पर रिश्ता बहुत दूर तक नहीं ले जा पायेंगे, प्रेम बिल्कुल दूसरी चीज़ होती हैं, पर दूसरे का हित आपको पता हो, इसके लिए पहले आपको हित चीज़ क्या है, ये तो पता हो! हित चीज़ क्या है? ये पता हो तो सबसे पहले आप अपना हित नहीं करेंगे?