मैं जानता हूँ’-सबसे अधार्मिक वचन
बहुता कहीऐ बहुता होइ। असंख कहहि सिरि भारु होइ॥
~गुरु नानक
आचार्य प्रशांत: जितना कहोगे उतना कम पड़ेगा। सत्य के विषय में कहने की तो इच्छा खूब होगी तुम्हारी पर जितना कहोगे उतना कम पड़ेगा। ये भी कहोगे कि वो अनंत है, असंख्य है, असंख्यातीत है, ये कहना भी कम पड़ेगा। मन तुम्हारा खूब करेगा कि किसी तरह कहें, कहें, कहें और कहने का अर्थ होता है उसे शब्दों में किसी तरह कैद कर ले। मन तुम्हारा खूब…