मेरे लिए कौन सी दिशा सही है?
प्रश्न: कई आवाज़ें उठे मन में, तो कैसे पता चले कि कौन-सी आवाज़ असली है?
वक्ता: जहाँ जो आवाज़ बता रही हो कि — “मेरा पालन करो तो तुम्हें ये मिलेगा और ये मिलेगा, और मेरा पालन नहीं करोगे तो ये नुकसान हो जाएगा और वो नुकसान हो जाएगा,” तो बस उस आवाज़ को मना कर दो। और जो आवाज़ कुछ करने को कह रही हो बिना किसी कारण के, वहाँ पर सम्भावना यही है कि मामला ठीक है। समझ रहे हो क्या कहा?
भीतर से कई आवाज़ें आ रही हैं। एक आवाज़ कह रही है — “इधर जाओ,” एक आवाज़ कह रही है, “इधर जाओ,” और एक कह रही है, “इधर जाओ,” जो आवाज़ डरा रही हो, या लालच दे रही हो, उनको नकार दो। और जो आवाज़ बिना लालच या डर के, किसी ओर भेज रही हो, उसका पालन कर लो। मन विपरीत करेगा। मन को जो आवाज़ डराएगी, या लालच देगी, मन उसका पालन करना चाहेगा। समझ गए?
श्रोता १: सर, लेकिन जो आवाज़ मना करेगी, द्वंद देगी, वो भी तो मन ही है मेरा।
वक्ता: बात मना करने की, या ‘हाँ’ करने की नहीं है। मना करने के पीछे क्या ये कारण दे रही है आवाज़ कि कुछ नुकसान हो जाएगा? जो भी आवाज़ तुम्हें नुकसान की चेतावनी दे रही हो, उस आवाज़ की मत सुनना। और जो भी आवाज़ तुम्हें फायदे का लालच दे रही हो उस, आवाज़ को भी मत सुनना। जो आवाज़ तुमको बिना किसी वजह के ही किसी ओर को धकेल रही हो, उसकी सुन लेना। समझ रहे हो ना ?
श्रोता २: सर, लेकिन अगर इन दोनों के सिवा कोई आवाज़ ही नहीं है? यही है जो है, तब फ़िर क्या करें?