मेरा शरीर किसलिए है

साची लिवै बिनु देह निमाणी

अनंदु साहिब (नितनेम)

(Without the true love of devotion, the body is without honour)

वक्ता: शरीर किसलिए है? दो शब्दों में शिवसूत्र स्पष्ट कर देते हैं। शरीर क्या है? हवि है। शरीर यज्ञ की ज्वाला में समर्पित होने हेतु पदार्थ है। यज्ञ क्या? यज्ञ वो जो सीधे तुम्हें परमात्मा से मिला दे। शरीर का एक मात्र उद्देश्य ये है कि इसका उपयोग कर के उसको पा लो, शरीर का और कोई प्रयोजन नहीं। शरीर इसलिए नहीं है कि शरीर को ही भोगो, अपने निमित्त नहीं है शरीर।

शरीर इसीलिए है ताकि शरीर से आगे जा सको।

कार इसीलिए नहीं होती कि उसमें बैठ जाओ, कार इसीलिए होती है ताकि उसमें बैठ कर के कहीं पहुँच सको। और जो कार ऐसी है कि उसमें बैठ तो सकते हो पर वो चलेगी नहीं; गड़बड़ है मामला। जो लोग शरीर से बंधा हुआ जीवन जीते हैं, वो वैसे ही हैं। जो अपने आप को शरीर समझते हैं, वो वैसे ही हैं कि तुम्हें कार दी गई थी ताकि तुम वहाँ पहुँच सको, और तुमने कार को ही चमकाना शुरू कर दिया। बिलकुल चमाचम कार है तुम्हारी। रोज़ उसकी तेल-मालिश करते हो — नये टायर, चमचमाता बोनट, लेटेस्ट मॉडल, बस खड़ी रहती है। और तुमने अपनी जमा पूंजी उस कार को चमकाने में लगा रखी है, उस कार को और बेहतर बनाने में लगा रखी है, उस कार के पोषण में लगा रखी है। ये तेल मांगती है तेल, तो इंजन ऑन कर देंगे, इग्नीशन ऑन रहेगा। पूरा पिला रहे हैं उसको तेल, बस चलाएँगे नहीं।

शरीर श्रम के लिए है।

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org