मृत्यु का भय कैसे हटे?
शारीरिक मृत्यु का ख़ौफ़ जाता रहता है जब वो तुम्हारे भीतर मर जाता है जो नाहक ही जिंदा होने का स्वांग करता है।
शारीरिक मृत्यु का डर नहीं है तुमको, घर के भीतर अगर तुम न हो तो घर में आग लगने से डरोगे क्या?
शरीर घर है तुम्हारा, शरीर के मिटने को लेकर इसलिए चिंतित रहते हो क्योंकि तुम शरीर में घुसे बैठे हो, आवश्यक नहीं है शरीर के भीतर अवस्थित रहना।