मूल्य आपके चुनाव का है, स्थिति का नहीं

आचार्य प्रशांत: तो यह सूत्र स्पष्ट होना बहुत ज़रूरी है। मूल्य आपकी चेतना का है, आपके शरीर का नहीं और मूल्य आपके चुनाव का है, आपकी स्थिति का नहीं। अच्छे से पकड़ लीजिए इसको — मूल्य आपकी चेतना का है, आपके शरीर का नहीं और मूल्य आपके चुनावों का है, आपकी स्थिति का नहीं।

जिसको आप बुरी स्थिति कहते हैं, उस बुरी-से-बुरी स्थिति में भी जो व्यक्ति श्रेष्ठ चुनाव कर रहा है, वह बेहतर है उस व्यक्ति से जो आपके मुताबिक बेहतर-से-बेहतर स्थिति में है लेकिन घटिया चुनाव कर रहा है। स्थिति नहीं देखो किसी की भी, स्वयं को देखना हो चाहे किसी अन्य व्यक्ति का मूल्यांकन करना हो, स्थिति नहीं देखो…

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org