मूर्ति द्वार है अमूर्त का
संगति ही सब कुछ है, मीरा ने कर ली है कृष्ण की संगति। तुम देखो तुमने किसकी संगति करी है?
मन तो प्रभावों के संकलन का नाम है, जैसे माहौल में उसे रखोगे वैसा हो जाएगा; तुम देखलो कि तुमने उसे कैसे माहौल में रखा है?
मीरा को कृष्ण के अलावा और कुछ दिखाई नहीं देता था, दिन-रात वो कृष्ण के साथ ही रहती हैं। तुम देखो कि तुम्हारी आँखों के सामने किसका चित्र घूमता है हर समय?
सुबह उठते हो तो कौन-से भगवान की शक्ल दिखाई देती है? आँख खोलते हो तो सामने कौन-सी देवी मौज़ूद रहती है?
जिनकी शक्ल दिन-रात देख रहे हो वैसे ही हो जाओगे।
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