मूर्तियों और मिथकों को मानें कि नहीं?

मूर्तियों और मिथकों को मानें कि नहीं?

प्रश्नकर्ता: प्रणाम आचार्य जी। बचपन से श्रीरामचरितमानस और भगवद्गीता, ये सब सुनते आ रहे हैं तो बचपन से एक सीख मिली है कि आप भगवान की भक्ति कर सकते हैं और ये एकमात्र तरीक़ा होता है जन्म और मरण के बंधन से मुक्त होने का। तो ये सुना और इसको अमल भी किया और बड़ा आनंद आता है रामभक्ति करने में। भजन में आते हैं, भजन सुनते हैं तो बड़ा सुकून मिलता है। कुछ नहीं चाहिए, बस संतोष महसूस होता है। और श्री राम, श्री कृष्ण, हनुमान जी — इन सबकी पूजा करते हैं तो बड़ा अच्छा महसूस होता है कि ठीक है, हम सही रास्ते पर जा रहे हैं, ऐसा महसूस होता है। तो एक भाग ये है सवाल का।

इसके अलावा, पिछले आठ-नौ महीने से आपको सुन रहा हूँ। बहुत सारी समस्याएँ थीं, मतलब बेहोशी, अंधकार में जी रहे थे वो पता नहीं था, लग रहा था सब ठीक है। आपको सुनने के बाद सब स्पष्ट हुआ धीरे-धीरे। अब बड़ा गर्व महसूस होता है कि अब धीरे-धीरे हम सत्मार्ग पर जा रहे हैं। लेकिन यहाँ आने से दो दिन पहले एक वीडियो सुना था जिसमें कुछ ऐसा था कि देवी-देवता कुछ नहीं होते। यहाँ पर आया तो दो-तीन दिन से सुन रहा हूँ कि कोई-न-कोई सवाल पूछा जाता है तो उसमें ‘ये भ्रम है, कल्पना है,’ ऐसे सवाल भी आ रहे हैं। तो बड़ी उलझन है। मतलब कि ऐसा लग रहा था कि भगवान की पूजा कर रहे हैं, राम-कृष्ण की पूजा कर रहे हैं, तो बहुत संतुष्टि होती थी। और सुनते हैं कितना भी लेकिन मन भी नहीं करता कि उससे दूर जाएँ अब।

तो थोड़ा-सा मार्गदर्शन कीजिए। बड़ा ही उलझ गया हूँ कि क्या करें, कैसे भगवान मिलेंगे, कैसे ये जन्म-मरण के बंधन से मुक्त होंगे। वो कृपया आप बताइए।

आचार्य प्रशांत: अब दस साल में जितना बताया है वो इस सवाल के जवाब में कैसे बताऊँ? यही चीज़ तो बोलता चला आ रहा हूँ, एक-एक किताब में, एक-एक वीडियो में यही बात तो है, अब मैं अचानक कैसे बता दूँ कि..?

आप जिन मूर्तियों की पूजा करते हो, आपने उनके जो अर्थ निकाले हैं वो मिथ्या हैं। भूलना नहीं है कि हम कौन हैं, हमें क्या चाहिए — हर चीज़ की शुरुआत यहाँ से होनी है। ठीक है?

हम वृत्तियों से ग्रस्त एक पतित चेतना हैं जिसको उठना है।

ठीक? ऐसे ही हैं न हम?

उठने में जो कोई सहायक हो हमारे लिए, वो अच्छा है।

सुबह उठने में क्या सहायक होता है? क्या सहायक होता है?

श्रोतागण: अलार्म।

आचार्य: कोई अलार्म सहायक होता है, कोई मूर्ति, कोई देवी, कोई देवता, कोई कथा अगर आपके जीवन में अलार्म का काम कर सकें, तो अच्छी है आपके लिए। लेकिन आप अलार्म पर गुलाब के फूल लगा दो और उसको रोज़ चंदन-टीका किया करो, तो उठ जाओगे? और अलार्म का चरणामृत पिया…

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org

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