मूर्तिपूजा का रहस्य
‘शिव’, ‘विष्णु’, माने छवियाँ, मूर्तियाँ। ब्रह्म अमूर्त हैं, विष्णु मूर्त हैं। उनकी अभिकल्पना, उनकी रचना बड़े बोध से, बड़े ध्यान से हुई है। साकार व्यक्ति, साकार मन, जब इन साकार मूर्तियों पर ध्यान करेगा, तो वो साकार का उल्लंघन करके, साकार को पार करके निराकार में प्रवेश कर जायेगा। जैसे कि कोई पुल को पार करके दूसरे तट पर पहुँच जाता है।
मूर्ति इसलिये है ताकि तुम अमूर्त तक पहुँच सको।