मूर्खता है माँसाहार

आप जब हिंसक होते हो तो आपका रिश्ता कुछ मात्र खाए जाने वाले जानवरों से ही हिंसक नहीं हो जाता। आपका रिश्ता सबसे हिंसक हो जाता है, और फ़िर यह भी हो सकता है कि नैतिकता के कारण आप जानवरों को ना मारें, लेकिन फ़िर आप तमाम अन्य तरीकों, परोक्ष तरीकों से, पता नहीं कितनों को मार रहे हैं।

जानवर को मारने का यही तरीका थोड़े ही होता है कि भोजन के लिए उसकी हत्या कर दो। आपकी फैक्ट्री अगर दिन-रात विषैला धुआँ उत्सर्जित कर रही है, और उस धुएँ के कारण तमाम पक्षी मर रहे हैं, तो

यह माँसाहार नहीं हुआ क्या?

माँसाहार बस तब थोड़े ही है जब माँस आपके मुँह में जाए और पेट में जाए। बिल्कुल ऐसा हो सकता है कि आपने जीवन में कभी माँस क्या अंडा भी ना खाया हो लेकिन आपकी जीवनशैली ऐसी हो कि आपके कारण हज़ार पशुओं को कष्ट होता हो, यह माँसाहार नहीं है?

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org