मुझे इतनी ठोकरें क्यों लगती हैं?
सोना, सज्जन, साधुजन, टूट जुड़े सौ बार
दुर्जन कुम्भ कुम्हार के, एकै धक्का दरार
~ संत कबीर
वक्ता: क्या है टूटना? और जुड़ना क्या है? एक टूटना-जुड़ना तो वो होता है, जो हम लगातार अनुभव करते ही रहे हैं और दुनिया में भी रोज़ होता देखते हैं। मन कहीं जाकर लग गया तो उसको हम कहते हैं कि जुड़ जाना और कहीं विरक्त हो गया, तो उसको हम कहते हैं टूट जाना। यहाँ पर टूटना, जुड़ने का…