मुक्त जीने का क्या अर्थ है?

मुक्त जीने का मतलब होता है कि मुक्ति से अधिक महत्वपूर्ण मेरे लिए कुछ भी नहीं। मुक्त जीने को ऐसे पढ़ो - मुक्ति में जीना। ऐसा नहीं है कि मान रहे हो कि मुक्त हो। बस अमुक्ति का, बंधन का तुमने विचार नहीं कर रखा।

अमुक्ति में तुम्हारा विश्वाश न बैठ जाए, यही मुक्ति है।

असल में अगर तुम्हें बार- बार मुक्ति का भी ख़याल आ रहा है तो वो बंधन ही है। जो वास्तव में मुक्त है, उसे न बंधन का ख़याल आता है, न मुक्ति का।

मुक्त जीने का अर्थ है सहज जी रहे हैं। इस भावना से नहीं जी रहे हैं कि बंधे हुए हैं।

देखो दो तरह के लोग हैं, एक वो जो कहते हैं हम तो बंधें हुए हैं, उनका एक तरह का अहंकार है। उनका अहंकार इस तरह का एहसास कराता है कि वो छोटे हैं। वो हीन भाव में जीते हैं। दूसरे वो हैं जो कहते हैं, हम मुक्त हैं, उनकी कुंठा दूसरी है। उनके भीतर ये भाव है कि वो बड़े विशाल हैं, और ग्लानी और कुंठा होते कुछ भी हों, होते तो अहंकार ही हैं न, उनका प्रकार कुछ भी हो।

न ये कहो कि छोटे हैं, न ये कहो कि बड़े हैं। कुछ कहो ही मत अपने बारे में। अपने विषय में कोई धारणा मत रखो।

न छोटे हो, न बड़े हो। क्या हो, ये विचार का विषय ही नहीं है। न बंधें हो, न मुक्त हो। क्या हो, ये बोलने की बात ही नहीं है।

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org