मीठे गीत वग़ैरह गाने की

मेरे यहाँ कोई बात नहीं

यहाँ तो खरे-खरे सवाल हैं।

दिन भर जो करते हो

उसमें डर कितना शामिल है?

प्रेम है अपने काम से?

जिनके साथ रहते हो उनसे रिश्ते कैसे हैं?

विपरीत लिंगी को देखते हो

तो मन में क्या ज्वार-भाटा उठता है?

धन के प्रति क्या रवैया है?

परिवार के प्रति क्या रवैया है?

अतीत की कितनी याद आती है?

भविष्य को लेकर कितने आशंकित रहते हो?

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org

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