मार्क्स, पेरियार, भगत सिंह की नास्तिकता
7 min readSep 30, 2020
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प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, आपने कहा कि आज के जितने भी लिबरल (उदार) चिंतक इत्यादि हैं, वे कोई भी पराभौतिक हस्ती को पूर्णता नकार देते हैं, और कहते हैं कि, “जो भी है, वह यहीं आँखों के सामने है”। भगत सिंह ने भी कहा कि दुनिया में ईश्वर नाम की कोई चीज़ नहीं है, पेरियार ने भी ऐसा ही कहा, मार्क्स ने भी इसी तरफ इशारा किया। तो क्या आप आज के उदार चिंतकों को, और भगत सिंह, पेरियार और मार्क्स को एक ही तल पर रख कर तुलना कर रहे हैं?