मार्क्स, पेरियार, भगतसिंह की नास्तिकता
आदमी को, धर्म को हमेशा सफाई की ज़रूरत पड़ती रही है। रिफॉर्म्स आवश्यक रहे हैं। क्रांतियाँ और सुधार हमें चाहिए होते हैं।
बुद्ध और महावीर क्या कर रहे थे?
वैदिक धर्म का पुनरुद्धार ही तो कर रहे थे? जगा ही तो रहे थे?
उन्होंने कहा उपनिषदों की जो वाणी है, वो लालची, लोभी कुछ पंडितों ने बड़ी खराब कर दी, अब वो वेदों का हवाला देकर के अपने न्यस्त स्वार्थों की…