माया का अर्थ है

वो इच्छाएँ जो

तुम्हें यह भ्रम देती हैं कि

वो कभी भी पूरी हो सकती है!

तो तुम इस भ्रम में हो कि

पूरी हो जाएँगी तो

आनंद मिल जाएगा,

तृप्ति मिल जाएगी!

तुम यह नहीं समझ पाते कि

वो यदि पूरी हुईं तो

उसके पीछे चार और खड़ी हैं,

कर लो पूरी!

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org