मानवता बड़ी कि धर्म?

ये लोग जो कहते हैं मानवता किसी भी धर्म से बढ़कर है, ये वास्तव में न तो धर्म को समझते हैं और न ही मानवता को समझते हैं।

मानव क्या है? उसके पास मूल्य कहाँ से आएँगे? उसे कैसे पता कि किस चीज़ को कितनी कीमत देनी है? मानव को अगर शिक्षित, दीक्षित न करो तो वह वास्तव में एक बुद्धि संपन्न पशु ही है। वास्तव में मानव के पास मानवता अपने आप आ ही नहीं सकती, उसके पास एक पाश्विक बुद्धिमत्ता जरुर आ सकती है।

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org