माँसाहार का समर्थन — मूर्खता या बेईमानी? (भाग-4)
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आचार्य प्रशांत: प्रश्नकर्ता ने तर्क भेजा है, कह रहे हैं, “विटामिन बी12 सिर्फ जानवरों के माँस से ही मिल सकता है और अगर उसको कृत्रिम रूप से लेंगे तो शरीर फिर उसको सोख नहीं पाता।”
बी12 को थोड़ा समझते हैं। देखिए, कोई जानवर अपने शरीर में विशेषतया विटामिन बी12 नहीं पैदा करता। विटामिन बी12 एक बैक्टीरिया पैदा करता है। वो बैक्टीरिया बहुत सारे जानवरों की आँत में पाया जाता है और उन जानवरों में इंसान भी शामिल है। जो बैक्टीरिया विटामिन बी12 पैदा करता है वो इंसान की आँत में भी पाया जाता है, और बहुत सारे अन्य जानवरों की आँत में पाया जाता है, और वही बैक्टीरिया मिट्टी में भी पाया जाता है। तो वहाँ से आता है विटामिन बी12।
अब सवाल ये है कि इंसान को फिर क्यों नहीं मिलता है विटामिन बी12, जब उसके अपने ही शरीर में बैक्टीरिया है जो उसका उत्पादन कर रहा है, बी12 का? इसलिए नहीं मिलता है क्योंकि वो जो बी12 है, जो हमारे शरीर में पैदा होता है बैक्टीरिया के द्वारा, वो शरीर में आँत में इतना नीचे पैदा होता है कि उसका एब्जॉर्बशन, उसको सोखना, उसका संश्लेषण भी सम्भव नहीं हो पाता है, तो वो मल के साथ-साथ शरीर से बाहर चला जाता है। शरीर से बाहर चला जाता है लेकिन मिट्टी में वो मौजूद रहता है।
अब, प्रकृति में जितने भी जानवर हैं वो जब घास खाते हैं या फल-वगैरह खाते हैं तो, पहली बात तो, वो फलों पर कोई रसायन लगाकर के उनको साफ नहीं करते। दूसरी बात, वो जिस मिट्टी से खा रहे होते हैं वो बहुधा फर्टिलाइजर्स-वगैरह के अत्याधिक इस्तेमाल के कारण बिलकुल मार नहीं दी गई होती है। जब आप मिट्टी पर रसायनों का बहुत इस्तेमाल करते हो ताकि उसमें से फसल पैदा हो सके तो मिट्टी में जो तमाम तरह के बैक्टीरिया होते हैं वो मर जाते हैं। वो बैक्टीरिया भी मर जाता है जो विटामिन बी12 पैदा करता है।
लेकिन जानवरों को फिर भी मिल जाता है, कैसे मिल जाता है? कि जानवर ने घास खाई, पत्ती खाई, फल खाया तो उसने धो-पौंछ के नहीं खाया। धो-पौंछ के नहीं खाया तो अगर वो फल खा रहा है या पत्ती खा रहा है तो उस पर मिट्टी के बारीक कण पड़े हुए हैं, मिट्टी के उन बारीक कणों में विटामिन बी12 भी मौजूद है क्योंकि मिट्टी में ही वो बैक्टीरिया है जो विटामिन बी12 बना रहा है।
इंसान जंगल से बाहर आ गया है। और हम अपने-आपको बहुत ज़बरदस्त रूप से सभ्य-वगैरह बोलते हैं और सभ्यता के नाते हमने दो काम करे हैं। पहला ये कि हमने अपनी मिट्टी को निष्प्राण कर दिया है। हमने अपनी मिट्टी में वो सब रसायन भर दिए हैं जो फसल के लिए उपयोगी हैं, ठीक है। “पोटैशियम उसमें डाल दो! नाइट्रोजन उसमें डाल दो!” तो ये सब हम उसमें अपना भरते रहते हैं। लेकिन जो चीजें फसल के लिए उपयोगी नहीं हैं…