माँसाहार का समर्थन — मूर्खता या बेईमानी? (भाग-3)

प्रश्नकर्ता: पौधों में भी तो जान होती है, पौधों में भी तो भावनाएँ होती हैं, और पौधे भी तो दर्द का अनुभव कर सकते हैं। तो हमें उन्हें भी तो फिर भोजन के लिए नहीं मारना चाहिए। तो आप चाहे शाकाहारी हों, वीगन हों या माँसाहारी हों, एक ही बात है क्योंकि सब जीवित प्राणियों को मार ही रहे हैं, चाहे वो जीवित प्राणी कोई जानवर या पौधा हो।

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org