महिलाएँ अपनी पढ़ाई और नौकरी देखें, या घर-गृहस्थी?
प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, मैं एक गृहणी हूँ। परिवार में पति है, एक चार साल का बच्चा है और मम्मी-पापा हैं। तो उनके कामों में मेरा पूरा दिन निकल जाता है। मम्मी-पापा बुज़ुर्ग हैं, बीमार भी हैं, बच्चा छोटा है, पति भी है। मैं अपनी लाइफ (जीवन) में गवर्नमेंट जॉब (सरकारी नौकरी) के लिए तैयारी करना चाहती हूँ और उसको पाना चाहती हूँ। तो जब मैं पढ़ाई के लिए बैठती हूँ तो मुझे काम सब नज़र आते हैं। तो मैं पढ़ाई छोड़कर उन कामों में लग जाती हूँ। तो क्या मुझे पढ़ाई पर ही पूरा फोकस करना चाहिए?
आचार्य प्रशांत: सबके लिए आप जो सबसे ऊँचा काम कर सकती हैं, वो है आपकी पढ़ाई। सबके लिए आप जो सबसे ऊँची सेवा कर सकती हैं, वो है आप की पढ़ाई। ये बिलकुल मत सोचिएगा कि अगर आप घर के इधर-उधर के काम छोड़कर के पढ़ाई कर रही हैं तो ये दूसरों के प्रति अप्रेम है, या उपेक्षा है।
आप घर की बहुत महत्वपूर्ण सदस्या हैं, आप अगर सीमित रहेंगी, क़ैद रहेंगी, अज्ञान में और अंधेरे में रहेंगी, बंधन में रहेंगी तो घर में किसका भला होने वाला है। आमतौर पर जो घरों की बुरी दशा रहती है, जो कलह-क्लेश संताप रहता है, उसका बहुत बड़ा कारण ये है कि घर के केंद्र में जो महिला बैठी है, जो स्त्री है, पत्नी है, माँ है, गृहणी है, उसको घर में क़ैद कर दिया गया है। घर उसी से है, और उसको घर में बिलकुल बाँध दिया गया है। जब वो घर से कभी बाहर निकलेगी नहीं तो उसे दुनिया का कुछ पता नहीं चलेगा। दुनिया का जिसे कुछ पता नहीं वो अंधेरे मे जी रहा है, वो क्या बच्चे की परवरिश करेगा, वो क्या पति के काम को समझेगा। बहुत बचकानी हरकतें…