महत्वपूर्ण है महत्वपूर्ण को याद रखना

प्रश्नकर्ता: सर, हम अपने लक्ष्यों के पीछे हमेशा भागते रहते हैं और बहुत बेचैनी भी महसूस होती है, पर कुछ दिनों बाद शिथिल पड़ जाते हैं। दृढ़ इच्छा शक्ति को बरकरार कैसे रखें?

आचार्य प्रशांत: अब मैं तुम्हें जवाब तो दे दूँगा, पर जो जवाब होगा वो तुम्हारे लिए स्मृति मात्र होगा। स्मृति को बरकरार कैसे रखोगे? कैसे बरकरार रखोगे? मैं तो कुछ बोल दूँगा, पर जो बोलूँगा, उसको बरकरार कैसे रखोगे?

प्र: दोहरा करके।

आचार्य: दोहराने के लिए तो याद होना चाहिए न कि करना है। कुछ भी करने के लिए उसकी महत्ता याद तो रहनी चाहिए। तो सबसे बड़ी बात क्या होती है? याद, स्मृति।

स्मृति, याद। अब ये याद वैसी याद नहीं है जैसी आम तौर पर मन में घूमती है। अतीत की याद नहीं है ये। दो तरह की यादें होती हैं। एक वो, जो अतीत से आती है, वो साधारण स्मृति है। और एक याद होती है वर्तमान की याद। तुम्हें ये अजीब सी बात लगेगी कि वर्तमान की भी कोई याद होती है? हाँ। वर्तमान की ही असली याद होती है।

तुम्हें आम तौर पर नकली वाली याद रहती है। तुम्हें अतीत याद रहता है, वर्तमान को भूले रहते हो। वर्तमान की याद को ही संतो ने सुमिरन या सुरति कहा है। कि जो तुम साधारण स्मृतियों से भरे रहते हो, उसकी जगह वर्तमान की याद रखो। तो बस याद रखो। और वर्तमान की याद में कुछ याद नहीं करना है क्योंकि स्मृति को तो याद करना पड़ता है। तुम कहते हो न, “ज़रा याद करने दो।” कहते हो न, “याद करने दो!” वहाँ पर तुम्हारा कर्ता भाव होता है। तुम्हें याद करना पड़ता है।

वर्तमान की याद का इतना ही मतलब होता है कि अतीत से घिरे हुए नहीं हो। तो जब भी अतीत से घिर जाओ, उससे मुक्त रहो, वर्तमान याद रहेगा।

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org