मरने के बाद हम कहाँ जाते हैं? हमारा क्या होता है?
प्रश्नकर्ता: आप कहते हैं कि मरने के बाद हमारा कोई पुनर्जन्म नहीं है। तो हम मरने के बाद कहाँ जाएँगे? आचार्य जी मरने के बाद हमारा क्या होगा?
आचार्य प्रशान्त: तुम्हारा कुछ नहीं होगा, तुम मिट्टी हो जाओगे। तुम्हें क्यों लग रहा है कि तुम इतनी बड़ी चीज़ हो कि तुम्हारा मरने के बाद भी कुछ होगा? मरने से पहले तो तुम्हारा कुछ हो नहीं पाया! मरने के बाद क्या होगा? अजीब ग़ुमान है। मरने से पहले तुम कोई भी बड़ी चीज़ बन पाए क्या? तो मरने के बाद भी तुम बहुत बड़े भूत कैसे बन जाओगे?
हमारा जो व्यक्तिगत अस्तित्व है न, उसे राख हो जाना है। व्यक्तिगत अस्तित्व को कहते हैं व्यष्टी। क्या कहते हैं? व्यष्टी, और प्रकृति में ये जो कुल अस्तित्व है, सब कुछ, इसे कहते हैं — समष्टि। समष्टि का पुनर्जन्म चलता रहता है लगातार। तो पुनर्जन्म झूठ नहीं है। यह मत कह देना कि मैं पुनर्जन्म से इंकार करता हूँ, नहीं। मैं व्यष्टी के पुनर्जन्म से इंकार करता हूँ। पुनर्जन्म समष्टि का होता है। समष्टि माने सब कुछ। समष्टि माने समझ लो जैसे — पहले भी मैंने यही उदाहरण देकर समझाया है, सबसे उचित उदाहरण यही है तो फिर से दिए देता हूंँ — समष्टि माने समझ लो सागर, और व्यष्टी माने समझ लो सागर की एक लहर। तो सागर बार-बार लहराता रहेगा। लहरों का बार-बार सागर में जन्म होता रहेगा। लहर उठेगी, लहर गिरेगी; लहर उठेगी, लहर गिरेगी। लेकिन जो व्यष्टी है, जो एक विशिष्ट लहर है, वह नहीं लौट कर आने वाली। वह एकदम नहीं लौटकर आने वाली।
तो अगर तुम पूछ रहे हो, मान लो तुम्हारा कुछ नाम है राजू, कि, "राजू का क्या होगा मरने के बाद?" राजू खत्म हो गया। राजू का कोई पुनर्जन्म नहीं है। हांँ, समष्टि का पुनर्जन्म ज़रूर है। मैं पुनर्जन्म से इंकार नहीं करता। मैं राजू के पुनर्जन्म…