ममता स्वार्थ है, और मातृभाव प्रेम

प्रश्न: मैंने बहुत समय से देखा है बहुत सारे मामलों में की जो बच्चा होता है, उसे परिवारों में वस्तु की तरह रखते हैं। एक ऐसी वस्तु जो हमारे बहुत अच्छे सामाजिक होने को विज्ञापित करता है। यहाँ पर बस यही हो रहा है की हम बहुत सामाजिक प्राणी हैं और हमारे जो बच्चे हैं वो एक वस्तु हैं जो विज्ञापन के तौर पर इस्तेमाल किए जा रहे हैं। उसे नहीं बोलना ‘हाए’, वो अपना खोया हुआ है और उसे ज़बरदस्ती बोलने के लिए कहा जा रहा है ताकि आप अपने बच्चे को…

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org

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