मन हल्का कैसे रहे?
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‘विश्राम’ का अर्थ है — तनाव फ़िज़ूल है। इससे वो मिलेगा नहीं जो चाहिए।
तनाव अपने आप नहीं आता है। हम तनाव को पहले बुलाते हैं, और फ़िर उसे हम पकड़ के भी रखते हैं।
तनाव अपने पाँव चल कर नहीं आता, आमंत्रित किया जाता है, क्योंकि हमें ऐसा लगता है कि तनाव से हमें कुछ मिल जाएगा।
ये मत कहा करो कि — “मुझे तनाव हो गया।” ये कहा करो कि — “मैंने तनाव बुला लिया।” बुलाया पहले, फ़िर उसे ग्रहण किया। हम खुद बुलाते हैं तनाव को। हमें भ्रम है कि तनाव फायदेमंद है।
देखो ना! कल तुम्हारा गणित का पेपर हो, और आज तुम मज़े में घूम रहे हो, तुम्हारे चेहरे पर कोई शिकन नहीं दिखाई दे रही, कोई तनाव नहीं है, मज़े में घूम रहे हो, तुरंत माँ-बाप, दोस्त-यार क्या कहेंगे? क्या कहेंगे? थोड़ा गंभीर हो जा, कल फेल हो जाएगा। उनसे ये देखा नहीं जाएगा कि तुम मज़े में हो। क्योंकि उनको भी यही भ्रम है कि तनाव से कुछ मिलता है।
तुम्हारा कल गणित का पेपर है, और आज तुम बिलकुल तनाव में हो, तो लोग कहेंगे कि — “ये ठीक है। ये गंभीर बच्चा है। ईमानदार है।” कहेंगे या नहीं कहेंगे? और तुम मज़े में घूम रहे हो, और तुम्हें कोई तनाव भी नहीं है, तो तुमसे क्या कह दिया जाएगा? “ये लफंगा, इसका पढ़ने-लिखने में मन नहीं लगाता। कल पेपर है, और देखो फुदक रहे है।” सुना है कभी ये सब?
अब उनको ये बर्दाश्त ही नहीं हो रहा कि पेपर होते हुए भी कोई शांत रह सकता है। ये झेला ही नहीं जा रहा है। शिक्षा ये दे रहे है हैं कि — तनाव होगा, तभी कुछ पाओगे। गलत शिक्षा है। झूठ है, बिलकुल झूठ है।
तनाव फ़िज़ूल है — जैसे ही तुम इस बात को समझते हो, तुम तनाव को आमंत्रित करना बन्द कर देते हो। याद रखो, तनाव अपने पाँव चलकर नहीं आता। तुम उसे बुलाना बंद करो, वो आना बंद करेगा।
तुम्हें जो मिलना है वो तुम्हारे ध्यान से, तुम्हारी शांति से मिलना है, तनाव से नहीं मिलना।
जब जो मिलना है वो शांति में मिलना है, तो शांत ही रह लेते हैं।
बस वो छोटी-सी धारणा, जो अब विकराल रूप ले चुकी है, इसको त्यागना होगा। कौन-सी धारणा? कि तनाव फायदेमंद है। क्या ये याद रख सकते हो कि — तनाव फायदेमंद नहीं है? तनाव से कुछ नहीं मिलेगा। तनाव फायदेमंद बिलकुल नहीं है।
शांति फायदेमंद है, विश्राम फायदेमंद है।
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आचार्य प्रशांत और उनके साहित्य के विषय में जानने, और संस्था से लाभान्वित होने हेतु आपका स्वागत है।