मन से दोस्ती कर लो
8 min readOct 26, 2020
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प्रश्नकर्ता: सर, यह सोच तो लिया है कि “अभी जो है, सो है”, और इससे मन शांत भी होता है पर जैसे ही कुछ करने बैठता हूँ, कि बस यही है, तो एक-एक मिनट ऐसा लगता है जैसे ख़त्म ही नहीं हो रहा। जैसे हर एक मिनट अनंत हो। दिमाग को चाहिये कि बस कुछ ख़त्म हो जाये। कोई भी एक्टिविटी कर रहा होऊं, दिमाग जब तक दौड़ता नहीं है, तब तक चैन नहीं आता।
आचार्य प्रशांत: देखो, मन पालतू बन्दर जैसा है। बन्दर तो है, पर दोस्त है अपना। बन्दर है, इसमें उसकी कोई गलती तो…