मन‌ ‌ब्रह्म‌ ‌को‌ ‌कैसे‌ ‌जाने?

आचार्य प्रशांत: कौन से श्लोक हैं, जिसपर बात करें?

प्रश्नकर्ता: पहला खण्ड, पाँचवा श्लोक, केनोपनिषद।

यन्मनसा न मनुते येनाहुर्मनो मतम्।

तदेव ब्रह्म त्वं विद्धि नेदं यदिदमुपासते॥५॥

(केनोपनिषद, खण्ड १, श्लोक ५)

हिंदी अनुवाद: मन से जिसका मन नहीं किया जा सकता; अपितु मन जिसकी महत्ता से मनन करता है, उसी को ब्रह्म…

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org