मन नए से डरता है
2 min readMay 22, 2021
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आचार्य प्रशांत: जब वास्तव में कुछ नया सामने आता है तो हम डर जाते हैं। मस्तिष्क बस एक चीज़ चाहता है, सुरक्षा — बना रहूँ, समय में बना रहूँ, मर न जाऊँ। और ख़त्म न होने का उसका जो तर्क है, वो ये है कि जो पहले किया हुआ है वही दोबारा करो। जब पहले नहीं मरे तो आगे भी नहीं मरेंगे — ये उसने मरने से बचने का तरीका खोजा है, इसलिए तुम नए से हमेशा डरते हो।
लेकिन मस्तिष्क का जो बचने का तरीका है वो मूर्खता का है क्योंकि मस्तिष्क की दुनिया में नए का…