Aug 31, 2022
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मन को पता नहीं क्या-क्या बोलते हो — धृष्ट है, ज़िद्दी है, अकड़ू है, पागल है, मगरूर है।
वास्तव में क्या है? मजबूर है।
किसके हाथों मजबूर है? अपने हाथों।
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मन को पता नहीं क्या-क्या बोलते हो — धृष्ट है, ज़िद्दी है, अकड़ू है, पागल है, मगरूर है।
वास्तव में क्या है? मजबूर है।
किसके हाथों मजबूर है? अपने हाथों।
रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org