मन को चंगा कैसे रखें?

मन को चंगा रखने का एक ही तरीका है, मन को किसी ऊँचे से ऊँचे कार्य में लगा दीजिए।

मन का मौसम उतना ही सुहाना रहेगा जितना सुहाना मन का लक्ष्य।

मन का लक्ष्य ही अगर सुंदर नहीं है, तो मन की हालत सुंदर नहीं हो सकती। मन का लक्ष्य अगर होगा — नोट और सिक्के। तो मन भी वैसा ही होगा सिक्के जैसा नोट जैसा। फाड़ो तो फट जाए और गिराओ तो टन-टन-टन-टन करे।

मन का लक्ष्य होगा अगर बड़ी-बड़ी इमारतें और घर और फैक्ट्रियाँ, तो मन भी फिर ईंट-पत्थर जैसा होगा। खुरदुरा, शुष्क, रुखा और टूटने को तैयार कि ईंट पटक दी और टूट गई। मन भी ऐसा ही होगा खट से टूट गया।

मन का जैसा लक्ष्य मन की वैसी हालत।

मन कमज़ोर लगता हो अगर, तो जान लीजिए मन ने लक्ष्य ही कमज़ोर बना रखे हैं।

जीवन में, जो भी आप की परिस्थितियों में, उच्चतम लक्ष्य संभव हो उसको रखिए और आगे, और आगे बढ़ते जाइए, जीवन इसीलिए है।

छोटी-छोटी चीज़ों में उलझे रहेंगे, तो मन भी छोटा हो जाएगा।

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org

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